Thursday, October 29, 2009

मेरे बिस्तर के सिरहाने.............







न पूछो क्यों, हम नींद में, 
हंसते हैं, और कभी रोते हैं, 
ख्वाब में अक्सर........,  
दर्द की यादों में, तो कभी,  
खुशियों की महफलों में होते हैं।



यूं ही मिलते हैं हम,  
जमाने से मुलाकातों में, 
वर्ना तो मिलने में ही,  
जमाने होते हैं, 
खूबसूरत सी मुलाकात हुई हो कोई, 
बस वही ख्वाब.........,  
बिस्तर के सिरहाने होते हैं।
..........



 प्रीती बङथ्वाल तारिका  
(चित्र साभार गूगल)